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जब दवा ना आये काम ,तो दुआ कीजै , चले गए जो फ़र्ज़ निभाते हुए ,उनके लिए दुआ कीजे

जब  दवा ना आये काम ,तो दुआ कीजै ,

चले गए जो फ़र्ज़  निभाते हुए ,उनके लिए दुआ कीजे। 

कल प्रात :दस बजे हम प्रार्थना की मुद्रा में खड़े होंगें दो मिनिट के मौनव्रत पर कृतज्ञता लिए दुआ मांगते शान्ति मांगते। 

कल का दिन ५ जून (विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस भी  है )बड़ा अहम है राष्ट्र के लिए (हालाकि की पहल हरियाणा ने की है )जब हज़ारों हज़ार हाथ दुआ में उठेंगे। सिर झुकेंगे कृतज्ञता ज्ञापन में उनकी जो हमसे बिदा हो गए कुछ कोरोना से लड़ते लड़ते तो कुछ उसके विकराल जबड़े में फंसकर। 

डर यही है थाली बजाकर ताली बजाकर एक जुटता दिखाने की तरह इस सिज़दे का भी टूलकिटिये टुकड़खोर मज़ाक न उड़ाएं तंज न कैसे हमारे ज़ज़्बातों पर प्रार्थना  में उठे हाथों पर।कभी कभार ही ऐसा होता है जब एक राष्ट्र की सम्पूर्ण  चेतना घनीभूत हो उठती है एक केंद्र पर। चेतना की सौंधी आंच तक पत्थर को भी पिघला दे ऐसा असर रखती है। 

मैं शेष भारत धर्मी समाज के साथ अपने परिवार संग उन कोरोना यौद्धाओं की दिव्यता को नमन करता हूँ जिनके दैहिक अस्तित्व  अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी कर्तव्य निष्ठा को प्रणाम करता हूँ जो अहर्निस कोरोना मोर्चे पर तैनात हैं  पर्सनल किट पहने गर्मी की तपिश में दस्ताने पहने। उन कोरोना यौद्धाओं के लिए सेहत की दुआ करता हूँ जो इस आलमी महामारी से फिलवक्त जूझ रहे हैं। खुदा खैर करे। ईश्वर इन्हें आरोग्य फिर से प्रदान करे।शान्ति दे इनके अपनों को।    

औरों की बुराई को ना देखूं ,वो नज़र दे ,

हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे। (खलील तनवीर )

अभी   राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा ,कोई जाएगा ,

तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया ,उसे भूलने की दुआ करो। (बशीर बद्र )

दुआ करो कि मैं उसके लिए दुआ हो जाऊँ ,

वो इक शख़्स जो दिल को दुआ सा लगता है। (ओबैदुल्लाह अलीम )

मांग लूँ  तुझसे ही तुझको कि सभी मिल जाए ,

सौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है। (अमीर मीनाई )

कोई चारा नहीं दुआ के सिवाय ,

 कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवाय। (हफ़ीज़ जालंधरी )

मर्ज़ -ए -इश्क जिसे हो उसे क्या याद रहे ,

न दवा याद रहे न दुआ याद रहे। (शेख  इब्राहम ज़ौक़  )

हज़ार बार जो  माँगा करो तो क्या हासिल ,

दुआ वह है जो दिल से कभी निकलती है। (दाग़ देहलवी )

कोई तो फूल खिला ए दुआ के लहज़े में ,

अजब तरह की घुटन है हवा के लहजे  में। (इफ्तिखार आरिफ़ )

दूर रहती हैं सदा उनसे बालाएं साहिल ,

अपने माँ बाप की जो रोज़ दुआ लेते हैं। ( मौहम्मद अली साहिल )

तुम सलामत रहो क़यामत तक ,

और क़यामत कभी ना  आये 'शाद'।(शाद आरफ़ी )

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे ,

उदासियों में भी चेहरा खिला -खिला सा लगे। (बशीर बद्र )

होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क़ -ए -इश्क की ,

दिल चाहता न हो तो , ज़बां में असर कहाँ। (अल्ताफ हुसैन हाली )

सब कुछ खुदा से मांग  लिया तुझको मांग के ,

उठते नहीं है हाथ मिरे इस दुआ के बाद।   


 

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