जब दवा ना आये काम ,तो दुआ कीजै , चले गए जो फ़र्ज़ निभाते हुए ,उनके लिए दुआ कीजे। कल प्रात :दस बजे हम प्रार्थना की मुद्रा में खड़े होंगें दो मिनिट के मौनव्रत पर कृतज्ञता लिए दुआ मांगते शान्ति मांगते। कल का दिन ५ जून (विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस भी है )बड़ा अहम है राष्ट्र के लिए (हालाकि की पहल हरियाणा ने की है )जब हज़ारों हज़ार हाथ दुआ में उठेंगे। सिर झुकेंगे कृतज्ञता ज्ञापन में उनकी जो हमसे बिदा हो गए कुछ कोरोना से लड़ते लड़ते तो कुछ उसके विकराल जबड़े में फंसकर। डर यही है थाली बजाकर ताली बजाकर एक जुटता दिखाने की तरह इस सिज़दे का भी टूलकिटिये टुकड़खोर मज़ाक न उड़ाएं तंज न कैसे हमारे ज़ज़्बातों पर प्रार्थना में उठे हाथों पर।कभी कभार ही ऐसा होता है जब एक राष्ट्र की सम्पूर्ण चेतना घनीभूत हो उठती है एक केंद्र पर। चेतना की सौंधी आंच तक पत्थर को भी पिघला दे ऐसा असर रखती है। मैं शेष भारत धर्मी समाज के साथ अपने परिवार संग उन कोरोना यौद्धाओं की दिव्यता को नमन करता हूँ जिनके दैहिक अस्तित्व अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी कर्तव्य निष्ठा को प्रणाम करता हूँ जो अहर्निस कोरोना मोर्चे पर तैनात हैं पर्सनल किट पह
कुम्भाराम या कुम्भकरण बतला रहें हैं मसखरा राहू हाल ही में राजस्थान की एक चुनावी सभा में मसखरा राहु ने एक कुम्भकरण लिफ्ट योजना का दो बार ज़िक्र किया ,जब तीसरी बार अशोक गहलोत साहब ने इस मसखरे को टहोका मारते हुए फुसफुसाया -कुम्भाराम आर्य तब यह बोला कुम्भा योजना हमने आरम्भ की है। हम यह पोस्ट अपने अनिवासी भारतीयों को बा -खबर करने के लिए लिख रहें हैं ,कि मान्यवर यह व्यक्ति (मसखरा राहु ,शहज़ादा कॉल ,मतिमंद दत्तात्रेय आदिक नामों से ख्यात )जब आलू की फैक्ट्री लगवा सकता है इनके महरूम पिता श्री गन्ने के कारखाने लगवा सकते हैं तब यह 'कौतुकी -लाल' श्री लंका में सुदूर त्रेता -युग में कभी पैदा हुए कुंभकर्ण को आराम से कुम्भाराम का पर्याय बतला सकता है इसके लिए दोनों में कोई फर्क इसलिए नहीं है क्योंकि इन्हें और इनकी अम्मा को न इस देश के इतिहास का पता है और न भूगोल का और ये मतिमंद अबुध कुमार अपने आप को स्वयं घोषित भावी प्रधानमन्त्री मान बैठने का मैगलोमनिया पाले बैठा है। भारत धर्मी समाज का काम लोगों तक सूचना पहुंचाना है।हमने किसी से कोई लेना देना नहीं है अलबत्ता भारत धर्मी समाज को सचेत करते रह